भूत-प्रेत, आत्मा और ईश्वर का महत्व: एक गहन अनुभव
भूत-प्रेत, आत्मा और ईश्वर का महत्व: एक गहन अनुभव
भूत-प्रेत, आत्मा और ईश्वर का महत्व: एक गहन अनुभव
लेखक: हर्षवर्धन झा
हमारे धर्मग्रंथों, कहानियों और पुराणों में भूत-प्रेत और आत्माओं का वर्णन मिलता है। लेकिन जब इन घटनाओं का अनुभव वास्तविक जीवन में होता है, तो यह हमारे विश्वास और सोच को पूरी तरह से बदल देता है। मेरे जीवन में कुछ ऐसे क्षण आए, जब मैंने नकारात्मक शक्तियों और आत्माओं को महसूस किया। इन अनुभवों ने मुझे यह समझने का मौका दिया कि ईश्वर, प्रार्थना और धर्म की शक्ति कितनी अद्भुत होती है।
एक घटना तब हुई, जब मैं अपने मित्रों के साथ था। एक मित्र ने मुझसे पवित्र ग्रंथ श्रीमद्भगवद्गीता का एक अंश समझाने को कहा। जैसे ही मैंने समझाना शुरू किया, उसके चेहरे के भाव अचानक बदल गए। उसकी आँखें अजीब ढंग से फैल गईं और उसने कहा, "मैं तुम्हें मार दूँगा।" मैंने शांत रहकर उत्तर दिया, "तुम मुझे छू भी नहीं सकते, क्योंकि मैं ईश्वर के आशीर्वाद और उनके दिव्य सुरक्षा घेरे में हूँ।" इसके बाद उसने कमरे में तोड़फोड़ करना शुरू कर दिया। लेकिन जैसे ही मैंने गहराई से प्रार्थना की, वह गिर पड़ा और कुछ समय बाद सामान्य हो गया। यह अनुभव मेरे लिए यह साबित करने के लिए काफी था कि ईश्वर की शक्ति अनंत है।
हमारे सभी धर्मग्रंथ, चाहे वह बाइबिल हो, भगवद् गीता, वेद, उपनिषद, या रामायण, सभी यह सिखाते हैं कि मनुष्य केवल भोजन और सांसारिक सुखों से जीवित नहीं रहता। असली जीवन उस वचन और सत्य में है, जो ईश्वर के मुख से निकलता है। यही ज्ञान हमें बुरी शक्तियों और हमारे भीतर के अंधकार से लड़ने की शक्ति देता है। भगवान श्रीकृष्ण ने गीता में अर्जुन को समझाया था कि सच्ची शक्ति धर्म और विश्वास में है। जब हम धर्म के मार्ग पर चलते हैं, तब हमारी आत्मा सशक्त होती है।
शैतान या बुरी शक्तियाँ कौन हैं? बाइबिल और भगवद् गीता के अनुसार, ये नकारात्मक शक्तियाँ हैं, जो हमें धर्म के मार्ग से हटाकर अधर्म के मार्ग पर ले जाने का प्रयास करती हैं। हिंदू धर्म में इन शक्तियों को 'असुर' कहा गया है। भगवान विष्णु ने अपने अवतारों में इन असुरों को पराजित करके धर्म की स्थापना की। श्री राम ने रावण का वध किया और श्रीकृष्ण ने कंस का। इन घटनाओं का मुख्य संदेश यही है कि ईश्वर की शक्ति और धर्म हमेशा बुराई पर विजय पाते हैं।
बुराई का सबसे पहला चरण ईश्वर में अविश्वास है। जब कोई व्यक्ति ईश्वर और धर्म में विश्वास खो देता है, तो उसका जीवन खालीपन और अंधकार से भर जाता है। यह खालीपन नकारात्मक शक्तियों और बुरी आत्माओं के प्रवेश का मार्ग बनता है। इसके अलावा, शराब, धूम्रपान, और अनैतिक कार्य जैसे बुरे आदतें इस प्रभाव को और गहरा कर देती हैं। हमारे धर्मग्रंथ हमें बताते हैं कि हमारा शरीर एक मंदिर है और इसे शुद्ध रखना हमारा कर्तव्य है।
आध्यात्मिकता और सुख का रहस्य
मैंने अपने जीवन में यह महसूस किया है कि जब लोग ईश्वर और धर्म की ओर लौटते हैं, तो उनका जीवन शांति और संतोष से भर जाता है। चाहे वह भगवान श्रीकृष्ण का ध्यान हो, शिवजी की आराधना, या किसी अन्य देवी-देवता की पूजा, यह आत्मा को मजबूत और सकारात्मक ऊर्जा से भर देती है।
जब हम गीता के संदेश "योगः कर्मसु कौशलम्" का पालन करते हैं और ईश्वर को अपने कार्यों में समर्पित करते हैं, तब हमारा जीवन सुखद और शांतिपूर्ण बनता है। साथ ही, बुरी शक्तियाँ हमारे आसपास भी नहीं आ पातीं।
चाहे आप किसी भी धर्म का पालन करें, ईश्वर और प्रार्थना में विश्वास करना जीवन को सुख, शांति और संतोष से भर देता है। नकारात्मक शक्तियाँ और आत्माएँ वास्तविक हो सकती हैं, लेकिन ईश्वर और उनके वचनों पर विश्वास हर अंधकार को दूर कर सकता है। जैसे भगवान विष्णु ने असुरों का नाश किया, वैसे ही हमारी प्रार्थनाएँ भी बुरी शक्तियों को हमारे जीवन से बाहर कर सकती हैं।
लेखक: हर्षवर्धन झा
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